

जिला नारायणपुर
नारायणपुर। जिला अस्पताल नारायणपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। शासन एवं प्रशासन द्वारा अभिकर्मक (Reagent) की आपूर्ति घटाए जाने के कारण अब अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में अधिकांश जांचें ठप हो गई हैं। वर्तमान में केवल हीमोग्लोबिन, सिकलिंग, ब्लड ग्रुप और यूरिन टेस्ट जैसे कुछ सीमित परीक्षण ही किए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, जहां पहले जिला अस्पताल में 100 से अधिक प्रकार की जांचें प्रतिदिन की जाती थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर मात्र 8 से 10 जांचों तक सीमित रह गई है। अभिकर्मक की आपूर्ति प्रशासन और सीजीएमएससी (CGMSC) द्वारा समय पर न किए जाने से स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
इस स्थिति का सीधा खामियाजा गरीब व आदिवासी मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें अब शहर के निजी पैथोलॉजी केंद्रों में जाकर महंगी दरों पर जांचें करवानी पड़ रही हैं। यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता का सीधा उदाहरण है, जो ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है।
वहीं दूसरी ओर, जिले के डॉक्टर भी पिछले 10 महीनों से लंबित वेतन और नक्सल प्रोत्साहन भत्ते की मांग को लेकर विरोध जता रहे हैं। एक ओर मरीजों को दवाएं और जांच सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
इन हालातों ने जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को उजागर कर दिया है और यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि सरकारी फंड आखिर जा कहां रहा है?
क्या प्रशासन और शासन के बीच की यह लापरवाही आम जनता की जान पर भारी पड़ रही है?
नारायणपुर जैसे संवेदनशील और आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की यह दुर्दशा न केवल शासन की नीतिगत विफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान न देने की कीमत आखिरकार आम जनता को चुकानी पड़ रही है।




