श्री पुज्य गुरुदेव अवंति तीर्थोद्धारक,खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन श्री जिनमणिप्रभसुरीश्वर जी म. सा. आदि ठाणा 7 का गुरुवार को नारायणपुर आगमन हुआ
जिला नारायणपुर
श्री पुज्य गुरुदेव अवंति तीर्थोद्धारक,खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन श्री जिनमणिप्रभसुरीश्वर जी म. सा. आदि ठाणा 7 का गुरुवार को नारायणपुर आगमन हुआ । गुरुदेव के आगमन पर जैन श्री संघ ने भव्य स्वागत किया गुरुदेव व उनके शिष्यों के साथ नारायणपुर जैन श्री संघ और जैन समाज के लोग मानसरोवर से होते हुए वरघोड़े के साथ गाजते बाजते हुए आचार्य श्री श्रेयांसनाथ मन्दिर पधारे। वहां से प्रवचन हॉल मे कई लोगो ने अपनी भावनाएं व्यक्त की और गुरुदेव श्री को नारायणपुर रुकने की विनती । प्रवचन मे आचार्य श्री ने फरमाया की व्यक्ति को जीवन में 4 वस्तु चाहिए पहली वस्तु है पथ यानि रास्ता किस मार्ग पर जाना है दुसरा है पथ दर्शक रस्ता दिखाने वाला किस मार्ग पर जाना है ? तीसरा जो गुरु हे वो सहि पथ दिखाते है पथ निर्माता चाहिए जो हमें है परम तारक परमात्मा जिन्होने स्वयं उस मार्गो का निर्माण किया । अनेकों भव्यात्माओं के लिए प्रशस्त कर दिया । चौथा और महत्वपूर्ण चाहिए उस रास्ते पर चलने वाला राहगिर जो रास्ते पर चले। उनके निर्देशानुसार उस रात3 पर चलाए । पथ दर्शक हो , पथ निर्माता हो पर पथिक न हो तो ये सब कोई काम के नही ।
प्रवचन मे आचार्य श्री ने फरमाया की दिन भर हम चिन्ताओं का बीज लेकर चलते है वे सारी इस संसार की चिन्ताए वो संसार जिसमे कोई सार नहीं वो संसार कल नष्ट हो जाएगा । तो में चिता उस के लिए करू जो कल नष्ट हो जाएगा बल्कि चिन्ता उस आत्मा की होनी चाहिए जो हमारा वास्तविक स्वरूप है। इस आधुनिक समय में ज्यो ज्यो सुविधाएँ बढ़ी है। त्यो त्यो शान्ति समाधि घटी है। इसके पश्चात गुरुदेव से नारायण पुर श्री संध ने महावीर जन्मकल्याणक तक रुकने की विनन्ति परन्तु समय की अनुकुलता होने के कारण नारायणपुर से गुरुदेव का विहार कल होगा । मांगी लाल जी देशलहरा , रानू लाल जी देशलाहरा , राजमल जी परख , हीरा लाल जी देशलहरा , गुलाब पींचा , जुगराज जी , मगराज जी , कांता बाई , चुन्नी बाई आदि थे ।