बिलासपुर। चकरभाठा स्थित बिलासा एयरपोर्ट पर सियार देखे गए हैं। रनवे के आसपास उनके दिखने के बाद एयरपोर्ट प्रबंधन सकते में है। यदि फ्लाइट उड़ान भरने वाली हो और उसी समय सियार आ जाए तो इससे बड़ा हादसा हो सकता है। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए प्रबंधन ने वन विभाग से मदद मांगी। मामला संवेदनशील क्षेत्र का होने के कारण विभाग ने जरा भी विलंब नहीं किया। आनन- फानन में दो पिंजरे बनाए गए। उनमें मुर्गा बांधकर ऐसी जगह पर रखा गया है, जहां मुर्गे खाने के लालच में जैसे ही सियार पहुंचे पिंजरा का दरवाजा बंद हो जाए और उन्हें पकड़ लिया जाए।
जिस जगह पर एयरपोर्ट है, उसके पीछे के क्षेत्र में जंगल झाड़ी है। इसलिए वन्य प्राणियों का भी मूवमेंट रहता है। चीतल के अलावा लकड़बग्घा और सियार भी कई बार देखे गए हैं। कई बार सूचना मिलने के बाद वन मंडल व कानन पेंडारी जू की टीम रेस्क्यू करने के लिए सर्चिंग कर चुकी है। अभी तो गांव व सड़क के आसपास ही देखे जाते थे। पर एयरपोर्ट परिसर में सियार नजर आने से सभी इसे गंभीरता से ले रहे हैं। ज्यादा खतरा रनवे को लेकर है। हवाई जहाज के उड़ान भरते या उतरने समय रनवे पर उसकी गति तेज होती है।
इस बीच विशेष सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है। यह प्रयास किया जाता है कि भूल से भी सामने न आए। इससे खतरा हो सकता है। पर जिस तरह सियार की मौजूदगी की पुष्टि की हुई, प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है। हालांकि रनवे में सियार पहुंचे या नहीं, अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन एयरपोर्ट के अंदर वन्य प्राणी का विचरण करना सुरक्षा के लिहाज से भी उचित नहीं है। इसलिए जिस तरह एयरपोर्ट के अधिकारी व कर्मचारियों ने सियार को देखने के बाद सीधे उन्होंने डीएफओ से चर्चा की।
मामला एयरपोर्ट का होने के कारण डीएफओ ने कानन पेंडारी जू प्रबंधन को निर्देश दिया कि सियार का रेस्क्यू करना है। इसके बाद जू प्रबंधन ने दो पिंजरा बनवाया और सोमवार को उन्हें एयरपोर्ट परिसर में उस जगह पर रख दिया गया है, जहां सियार की गतिविधियां हैं। हालांकि खाली पिंजरे रखने से सियार पकड़ में नहीं आते। इसलिए दोनों में मुर्गा बांधा गया है। इन्हें खाने के लालच में सियार जरूर पिंजर के अंदर आएंगे। उनके आते ही पिंजरा का स्लाइडर गेट स्वत: बंद हो जाएगा।
चार से पांच हो सकती है संख्या
एयरपोर्ट परिसर में वैसे तो दो ही सियार देखे गए हैं। लेकिन, संख्या इतनी ही हो या जरूरी नहीं है। यह क्षेत्र उनका सालों से रहवास रहा है। इसलिए कुनबे में कम से कम चार से पांच सियार होने की संभावना है। वन विभाग ने यह निर्णय लिया है कि यदि दोनों पिंजरे में सियार रेस्क्यू हो जाते हैं, तब इन्हें कुछ दिनों के लिए और लगाकर रखेंगे, ताकि संख्या अधिक होगी, तो वे भी पकड़ में आ जाएं।