रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मामले की सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण के मसले पर सरकार का पक्ष जानना जरूरी है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 16 जनवरी को होगी। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर गरमाई राजनीति और असमंजस के बीच अब से कुछ ही देर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सामाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग के लिए स्वीकार किया है। लोगों की नजर सुप्रीम कोर्ट के रुख पर है, क्योंकि आरक्षण की व्यवस्था स्पष्ट नहीं होने पर नई भर्तियों, एडमिशन से लेकर प्रमोशन में भी दिक्कत आएगी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। इसके बाद राज्य सरकार ने संशोधन विधेयक पारित कर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल अनुसुइया उईके को भेजा गया है, लेकिन दो हफ्ते बाद भी राज्यपाल ने दस्तखत नहीं किए हैं। राज्यपाल उइके के मुताबिक वे सभी कानूनी पहलुओं को जानने के बाद ही दस्तखत करेंगी। राज्यपाल ने शासन से 10 सवाल पूछे हैं। इसमें इंदिरा साहनी केस के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रावधान किए गए हैं, उसे लेकर भी सवाल है।