छत्तीसगढ़

बड़ी खबर : हसदेव अरण्य में खनन परियोजना पर रोक लगाने से न्यायालय ने किया इनकार, कहा- विकास के रास्ते में न आएं

परसा कोयला ब्लॉक के आंदोलनकारियों को बड़ा झटका.

रायपुर I उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के जैव-विविधता वाले हसदेव अरण्य में अदानी समूह द्वारा संचालित और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के स्वामित्व वाली कोयला खनन परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है

और कहा है कि वह विकास के रास्ते में नहीं आएगा. पर्यावरण संबंधी चिंताओं और जनजातीय अधिकारों पर खनन गतिविधियों के प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र में मूल आदिवासी समुदाय लंबे समय से विरोध करते रहे हैं.

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोई अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में परसा कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं को कोयला खनन गतिविधि पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, ‘‘अंतरिम राहत से इनकार किया जाता है. हम स्पष्ट करते हैं कि इन अपीलों का लंबित रखा जाना परियोजनाओं के रास्ते में बाधक नहीं बनेगा.

यदि इस न्यायालय को अपीलकर्ताओं की ओर से दी गयी दलीलों में दम नजर आता है, तो प्रतिवादियों को क्षतिपूर्ति के लिए कभी भी निर्देश दिया जा सकता है.’’ शीर्ष अदालत परसा कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली स्थानीय निवासियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

 

लंबित याचिकाओं को खनन के खिलाफ नहीं माना जाएगा
दरअसल, परसा कोल ब्लॉक के आदिवासी भू-विस्थापितों ने शुक्रवार को याचिका दायर की थी। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि, परसा कोयला ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं को खनन के खिलाफ किसी भी तरह के प्रतिबंध के रूप में नहीं माना जाएगा।

कोर्ट ने कहा- हम अंतरिम राहत देने से इनकार करते हैं
बेंच ने कहा कि, ‘हम विकास के रास्ते में नहीं आना चाहते हैं और हम इस पर बहुत स्पष्ट हैं। हम कानून के तहत आपके अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन विकास की कीमत पर नहीं।’ कहा कि, ‘अंतरिम राहत से इनकार किया जाता है। हम स्पष्ट करते हैं कि इन अपीलों का लंबित रहना परियोजना के रास्ते में नहीं आएगा। कोर्ट अपीलकर्ताओं की ओर से तर्कों में ठोस पाता है तो क्षतिपूर्ति के लिए निर्देशित किया जा सकता है।

 

Maad Sandesh
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