देश में बीजेपी (BJP) के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल एक मोर्चा बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं. इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य रूप से सक्रिय नजर आ रहे हैं. हालांकि यूपी से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बीते दिनों विपक्षी एकता का संकेत दिया है. इसके अलावा सपा प्रमुख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कदम पर चलते या राजनीति करते नजर आ रहे हैं.
बीते कुछ दिनों से अखिलेश यादव के राजनीतिक फैसलों और बयानों में सीएम नीतीश कुमार की झलक दिख रही है. हालांकि इस चर्चा के पीछे कई वजह है. सबसे पहले राज्य में बीजेपी गठबंधन के खिलाफ उनके वे सपा गठबंधन को मजबूत करने में लगे हुए हैं. उपचुनाव के बाद उनके गठबंधन में और कुछ नए दल के जुड़ने की संभावना है. वहीं उपचुनाव के दौरान चंद्रशेखर आजाद के रूप में उन्हें पहले ही नया साथी मिल चुका है. अब केशव देव मौर्य और ओपी राजभर से मुलाकात की भी अटकलें चल रही है. यानी बिहार की तरह यूपी में भी बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन की तैयारी सपा प्रमुख कर रहे हैं. जिससे बीजेपी को सीधे तौर पर चुनौती दी जा सके.
इन दो मुद्दों पर भी दिखे एक जैसे
इसके बाद बात विपक्षी एकता की आती है. दरअसल, अखिलेश यादव भी बीजेपी के खिलाफ देश में विपक्ष को एकजुट करने की मुहीम का समर्थन कर रहे हैं. बीते दिनों में उन्होंने सितंबर महीने में नीतीश कुमार से उन्होंने मुलाकात भी की थी. जबकि मैनपुरी उपचुनाव में सपा के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने वोट भी मांगा था. बात यहीं खत्म नहीं होती है. कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था, “सीएम ममता बनर्जी, सीएम केसीआर, सीएम नीतीश कुमार सब मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि एक विकल्प बने. महंगाई बेरोजगारी चरम पर है. यूपी के साथ धोखा हुआ है. 2024 में समाजवादियों की यूपी में बड़ी जीत होगी. मैनपुरी के परिणाम ने नकारात्मक राजनीति को ठुकराया है.” इनके इस बयान से विपक्षी एकता को मजबूत संदेश मिला.